THE MAHA KALI SIDDHA KAVACH DIARIES

The maha kali siddha kavach Diaries

The maha kali siddha kavach Diaries

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काली दशाक्षरी विद्या स्वाहान्ता चोरुयुग्मकम् ॥

Om for the armour of Mahakali , the sage is Bhairava , the meter is anushtup , the goddess is Maha Kali and it's getting read through to eliminate all types enemies.

शतलक्षं प्रजप्त्वापि तस्य विद्या न सिद्धयति ।

जो साधक अपने इष्ट देवता का निष्काम भाव से अर्चन करता है और लगातार उसके मंत्र का जप करता हुआ उसी का चिन्तन करता रहता है, तो उसके जितने भी सांसारिक कार्य हैं उन सबका भार मां स्वयं ही उठाती हैं और अन्ततः मोक्ष भी प्रदान करती हैं। यदि आप उनसे पुत्रवत् प्रेम करते हैं तो वे मां के रूप में वात्सल्यमयी होकर आपकी प्रत्येक कामना को उसी प्रकार पूर्ण करती हैं जिस प्रकार एक गाय अपने बछड़े के मोह में कुछ भी करने को तत्पर हो जाती है। अतः सभी साधकों को मेरा निर्देष भी है और उनको परामर्ष भी कि वे साधना चाहे जो भी करें, निष्काम भाव से करें। निष्काम भाव वाले साधक को कभी भी महाभय नहीं सताता। ऐसे साधक के समस्त सांसारिक और पारलौकिक समस्त कार्य स्वयं ही सिद्ध होने लगते हैं उसकी कोई भी किसी भी प्रकार की अभिलाषा अपूर्ण नहीं रहती ।

ह्रीं ह्रीं क्ष क्षौं स्वरूपा सा सर्वदा शत्रु नाशिनी । २ ।

ह्रां ह्रीं क्षों क्षौं स्वरूपा सा सदा शत्रून विदारयेत् ।।

सुरेश्वरी घोररूपा चण्ड मुण्ड विनाशिनी । ५ ।

jo individual kali maa ki sadhna krta h use jrur kali ma ki prapti hoti h lekin click here aap es kaliyug me kali ma sadhna tabhi prapt kr skte h jb apke male me koi lalach na ho firstiy apke man mn me koi bhi galat vichar nhi ane chahiye hmesha aap dushro ki sewa ke liye sadhna ki jati h n ki apne liye … jai mata di

मैं आपको नमस्कार करता हूं। आप मेरे शत्रुओं का नाश कीजिये ।.

वदनं सकलं पातु ह्णीं ह्नीं स्वाहा स्वरूपिणी ॥



कण्ठे वा वामबाहौ वा कवचस्यास्य धारणात् ॥

They help you to unravel the issues rapidly. With the help of those mantras, you'll be able to deal with lots of scenarios. Just in case your landlord dominates you or your husband or spouse by no means listens to you personally, consider the help on the Maha Kali Mantras.

महाकाली, महाकाल की वह शक्ति है जो काल व समय को नियन्त्रित करके सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन करती हैं। आप दसों महाविद्याओं में प्रथम हैं और आद्याशक्ति कहलाती हैं। चतुर्भुजा के स्वरूप में आप चारों पुरूषार्थों को प्रदान करने वाली हैं जबकि दस सिर, दस भुजा तथा दस पैरों से युक्त होकर आप प्राणी की ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों को गति प्रदान करने वाली हैं। शक्ति स्वरूप में आप शव के उपर विराजित हैं। इसका अभिप्राय यह है कि शव में आपकी शक्ति समाहित होने पर ही शिव, शिवत्व को प्राप्त करते हेैं। यदि शक्ति को शिव से पृथक कर दिया जाये तो शिव भी शव-तुल्य हो जाते हैं। शिव-ई = शव । बिना शक्ति के सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और शिव शव के समान हैं। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इस सम्पूर्ण सृष्टि में शिव और शक्ति ही सर्वस्व हैं। उनके अतिरिक्त किसी का कोई आस्तित्व नहीं है।

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